Birasani mandir Birsinghpur pali, बिरासनी मंदिर, बिरसिंहपुर पाली-
Birasani mandir Birsinghpur pali, माता काली की उन प्रतिमाओं में से एक है जिसमें माता की जीभ बाहर नहीं है |
मंदिर के गर्भ गृह में माता के पास ही भगवान् हरिहर बिराजमान हैं जो आधे भगवान् शिव और आधे भगवान् विष्णु के रूप हैं|
मंदिर के गर्भ गृह के चारो तरफ अन्य देवी देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं| मंदिर परिसर में राधाकृष्ण, मरही माता, भगवानजगन्नाथऔर शनिदेव के छोटे छोटे मंदिर भीस्थित हैं |
Birasani mandir Birsinghpur pali, मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है| मां बिरासिनी मंदिर शक्तिपीठ में दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां हजारों की संख्या में जवारे चढ़ाए जाते हैं।
Birasani mandir Birsinghpur pali, में चैत्र नवरात्रि में जवानों का खास महत्व होता है, जिसके लिए लोग अपनी मान्यताओं को लेकर यहां जवारे चढ़ाते हैं और मां से मनचाहा वर पाते हैं।
सड़क मार्ग-
Birasani mandir Birsinghpur pali, बीरसिंहपुर पाली की सड़क मार्ग सेकटनीसे 190 कि.मी. उमरिया से दूरी 35 किमी०, शहडोल से दूरी 40 किमी०, नौरोजाबाद से 10 किमी०, डिन्डोरी से 77 किमी०, जबलपुर से 200 किमी०, अमरकंटक और बांधवगढ़ से दूरी क्रमशः 70 किमी० है |निकटतम रेलवे स्टेशन मुदरिया है बीरसिंहपुर रेलवे स्टेशन कटनी बिलासपुर ट्रेन रूट पर स्थित है स्टेशन से बिरसिनी माता मंदिर की दूरी 600 मीटर है |
बिरासिनी माता मंदिर का पुनर्निर्माण -
Birasani mandir Birsinghpur pali, बीरसिंहपुर पाली बिरासिनी माता के प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण का प्रारंभ जगतगुरु शंकराचार्य द्वारका शारदा पीठाधीश्वर स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी के पावन कर कमलों द्वारा
माघ शीर्ष कृष्ण पक्ष गुरुवार विक्रम संवत २०४६(दिनांक 23 नवम्बर 1989) को किया गया और बीरसिंहपुर कालरी /SECL/ भी दानदाताओं के सहयोग से लगभग सत्ताईस लाख रूपये में माता के संगमरमर के भव्य मंदिर पूर्ण हुआ |
मंदिर का वास्तुचित्र , वास्तुकार श्री विनायक हरिदास NBCC नई दिल्ली द्वारा निशुल्क प्रदान किया गया |
Birasani mandir Birsinghpur pali, बिरासिनी माता देवी मंदिर का जीर्णोद्धार का समापन कार्यक्रम , पुनः प्राण प्रतिष्ठा, कलश शिखर प्रतिष्ठा गुरूवार वैशाख शुक्र सप्तमी संवत् २०५६ (22 अप्रेल 1999) जगतगुरु शंकराचार्य पुरी पीठाधीश्वर स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी के शुभाशीष से संपन्न हुआ
मान्यतानुसार Birasani mandir Birsinghpur pali, बिरासिनी माता ने सैंकड़ों वर्ष पूर्व पाली निवासी धौकल नामकव्यक्ति को सपना दिया कि उनकी मूर्ति एक खेत में है जिसे लाकर नगर मेंस्थापित करो |
राजा बीरसिंह ने कराया मंदिर का निर्माण
धौकल नामक व्यक्ति ने मूर्ति लाकर एक छोटी सी मढिया बनाकर माता को बिराजमान कराया | बाद में नगर के राजा बीरसिंह ने एक मंदिर का निर्माण कराकर माता की स्थापना की |
बिरसिंहपुर मेला मध्य प्रदेश,
Birasani mandir Birsinghpur pali, बिरसिंहपुर मेला मध्य प्रदेश, भारत में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध मेला है। यह मेला हर साल नवरात्रि के दौरान आयोजित किया जाता है यह मेला मुख्य रूप से बिरसिंहपुर नगर के माँ बिरासनी मंदिर के पीछे मेला ग्राउंड में लगता है। मेले में भक्तों की भीड़ आती है
जो माँ नरयणी की पूजा करते हुए उनसे आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। इस मेले में अनेक स्थानों पर शाकाहारी भोजन की व्यवस्था होती है और अनेक दुकानें भी खुलती हैं जहाँ से लोग वस्तुओं और स्नैक्स को खरीदते हैं।
Birasani mandir Birsinghpur pali, मेला एक सांस्कृतिक आयोजन होता है जो भक्तों को एक साथ आने का अवसर प्रदान करता है। यह एक ऐसा मेला है जो मुख्य रूप से धार्मिक कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है।
दर्शन मात्र से ही पूरी हो जाती है मनोकामना -
Birasani mandir Birsinghpur pali, में भक्तों की मुराद, काली नृत्य के साथ किया जवारा विसर्जनउमरिया के बिरसिंहपुर पाली में बिरासनी शक्ति पीठ में और चंदिया के चंडिका मढलिन धाम में जावरा विसर्जन किया जा रहा है।
विसर्जन के दौरान भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी, जिसे संभालने भारी संख्या में पुलिस बल के साथ उतर आए। विसर्जन के बाद रात में जगराता का आयोजन किया जाएगा।
प्रशासन ने आयोजन स्थल पर व्यवस्था का जायजा ले लिया है। साथ ही विसर्जन जलूस रुट पर भी पुलिस ने व्यवस्था संभाल रखी है।
जवारा विसर्जन
जवारा विसर्जन में भक्त अपने सिर पर जवारा कलश रखकर निकल रहे हैं। विसर्जन स्थान पर जवारा का विसर्जन किया जाएगा। विसर्जन जलूस में काली नृत्य हो रहा है।
जिसको देखने बारी भीड़ उमड़ी है और बाना भी लिया जाता है। बाना को जीभ में छेदा जाता है, इसको देखने भी भक्त पहुंचते हैं।
बिरासनी शक्ति पीठ और चंडिका मढलिन धाम दोनों ही स्थानों में जवारा विसर्जन के बाद जगराता का कार्यक्रम रखा गया है।
बिरासनी शक्ति पीठ और चंडिका मढलिन धाम दोनों ही स्थानों में जवारा विसर्जन के बाद जगराता का कार्यक्रम रखा गया है।
दस हजार जवारा कलश
Birasani mandir Birsinghpur pali, बिरासनी शक्ति पीठ में लगभग दस हजार जवारा कलश स्थापित किए गए हैं और चंडिका माता में इक्कीस सौ जवारा कलश स्थापित है।
बिरसिंहपुर पाली. राम नवमी के अवसर पर मंदिर तथा घरों में बोए गये जवारों कलशों का विसर्जन रविवार को किया गया।
इस अवसर पर नगर स्थित ज्वालामुखी मंदिर, वैष्णों देवी मंदिर, शांकाम्भरी देवी मंदिर, शारदा देवी मंदिर सहित देवी मंदिरों तथा घरों में बोए गए जवारों का विसर्जन काली नृत्य के साथ स्थानीय ज्वालामुखी घाट में किया जाता है ।
काली नृत्य और बाना
जवारा विसर्जन के दौरान मां काली नृत्य करते हुए चलती हैं । इस दौरान पुलिस व्यवस्था भी जगह-जगह तैनात की गई थी।
चैत्र नवरात्र के अवसर पर ज्वालामुखी मंदिर में मेले का भी आयोजन किया गया, जिसमें सभी श्रद्धालुओं भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं ।
भव्य जवारा जुलूस
Birasani mandir Birsinghpur pali, पाली के बिरासनी मंदिर शहडोल संभाग का सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जहां भव्य व ऐतिहासिक जवारा जुलूस निकाला जाता है। नवरात्र में शक्ति की उपासना व साधना में लीन में श्रद्धालु माता-बहनें जब जवारा कलश सिर पर रखकर मातारानी के दरबार से निकलती हैं तो मानो शहर की सड़कों पर हरियाली छा गई हो।
कोरोना से निजात मिलने के बाद बिरसिंहपुर पाली स्थित मां विरासिनी के दरबार से भव्य जवारा जुलूस निकाला गया, जो विभिन्न मार्गो से होता हुआ स्थानीय तालाब में पहुंचा।
कोरोना से निजात मिलने के बाद बिरसिंहपुर पाली स्थित मां विरासिनी के दरबार से भव्य जवारा जुलूस निकाला गया, जो विभिन्न मार्गो से होता हुआ स्थानीय तालाब में पहुंचा।
यहां विधि विधान से जवरों कलशों का विसर्जन किया गया। 12-15 हजार जवारा कलशों का जुलूस मंदिर प्रांगण से प्रारंभ होता है जो विभिन्न मार्गो से होकर गुजरा जाता है ।
जवारा जुलूस मंदिर प्रांगण से निकलकर प्रकाश चौराहे होते हुए सांई मंदिर, वापस थाना रोड होते हुए सगरा पहुंचता है ।
जिलों से भी लोग देखने पहुंचते है जवारे एवं जुलुस
इस ऐतिहासिक जवारा जुलूस को देखने जिले सहित अन्य जिलों से भी लोग देखने पहुंचते हैं । प्रमुख मार्गो मे बनें घरों की छतों में भी श्रद्धालुओ की भीड़ दिखाई देती है ।
इस अवसर पर गुदुम नृत्य की प्रस्तुति के साथ जवारा जुलूस ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीण जन भी उपस्थित रहते है ।
कन्या भोज एवं 9 दिनों तक का भंडारे औरआयोजन
मंदिरों सहित घरों में चैत्र नवरात्र की राम नवमीं पर भण्डारें एवं कन्या भोज का आयोजन किया गया। माता स्वरूप छोटी छोटी कन्याओं को भोज कराकर आर्शीवाद प्राप्त कर उन्हें भेंट प्रदान की गई।
इसी तरह आयोजित भण्डारे के कार्यक्रम में सभी ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। इस दौरान कई धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित होते हैं |